Just something that popped into my mind recently...
उसका चर्चा सारे ज़माने में है, क्या जिंदा दिली उस देवाने में है.
कहीं से कोई दर्द दिख न जाए, येही तो मज़ा उसके छुपाने में है.
शमा को अपनी रौशनी पर गुरूर है तो रहे, इश्क में जल जाने का गुरूर तो सिर्फ़ परवाने में है.
ऐय खुदा तेरे दीदार की तमन्ना है, बढ़ती नहीं तेरी शान ऐसे तरसने में है
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