A poem that I wrote in Hindi. My parting wishes to an old friend...
चींटियों सा कभी रेंगता है, तो कभी लेहेराते दारिया सा चला जाता है
वक्त तो हाँथ में रेत जैसा है, न जाने कहाँ से निकल जाता है
कल था की तुम मिले थे, आज है की जा रहे हो
जो वादे किए थे तुमने, आज उन सब को झुटला रहे हो
कहने को कुछ और नहीं, तो यह कहता हूँ में
जहाँ जाओ खुश रहो, जीवन में मन लगा के अपना काम करना
और कभी फुरसत मिले तो पीछे मुड़ के इस मील के पत्थर को याद करना
Sunday, May 25, 2008
Best Wishes - A Poem in Hindi
Posted by
Kundalini Crisis
at
1:59 PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment